इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
मन्नू जी की लेखकीय यात्रा पर केन्द्रित, उनकी सशक्त कलम से लिखी हुई लम्बी कथा - "एक कहानी यह भी" पढ़ी. उसे पढ़कर मैं इतनी प्रभावित हुई कि मैं अपनी प्रतिक्रिया को शब्दों में कुछ इस प्रकार ढालने को विवश हूँ.
कहानी के समापन पर जो पहला भाव मन में आया, वह था - "नारी की अद्भुत शक्ति और सहनशीलता की कहानी". मन्नू जी की जिस अद्भुत एवं अदम्य शक्ति व साहस की झलक उनकी बाल्यावस्था में दिखाई ......
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