इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
अनिल पु. कवीन्द्र:
अजित कुमार: मैं नहीं जानता कि आज का लेखक मुक्तिबोध जैसा होना ज़रूरी है. जितनी रचना की प्रवीणता है, उतना ही रचना को समझने की प्रक्रिया में प्रवीणता है. धीरे-धीरे जिसको हम कहें कि एक शब्द क्या इसके लिए इस्तेमाल कर सकते हैं 'कान्सेसनस '. क्रिटिक प्रोसेस के बारे में सर्जक और जागरूक होना. ये आधुनिकता के साथ साथ जुड़ा हुआ एक लक्षण है. लेकिन सम्भव है बहुत से ऐसे लोक-कवि होंगे. जोकि बहुत अच्छी ......
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अभिमन्यु: भारतीय संस्कृति को आप वैश्विक परिदृश्य में आप कहाँ पर देखते हैं और उनकी क्या विशेषतायें पाते हैं?
अकील अहमद: कोई भी संस्कृति, तहज़ीब को इलाकाई परिदृश्य में देखना चाहिए. और इलाके से जो भी तहज़ीब बनती है. उसका खाना. पीना, रहन. सहन वो उस इलाके से बनती है. उसको अगर हम पाश्चात्य दृष्टिकोण से देखेंगे, तो वो नहीं देखना चाहिए. और उसे उसका अनुसरण नहीं करना चाहिए. लेकिन, जैसे. जैसे दुनिया एक तरह से ग्लोबल बन ......
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रवीन्द्र गौतम: आपके रचनाकार बनने की शुरुआत कैसे हुई?
बोधिसत्व : मैं जब दसवीं में पढ़ता था बात होगी 1984 की. मेरे एक अंग्रेजी के टीचर थे. हालांकि वो मेरे टीचर हुआ करते थे जब मैं 7वीं-8वीं में पढ़ता था तब भी. वो कुछ लोकगीत शैली की कवितायें लिखा करते थे. शनिवार को जब छुट्टियाँ होने को होती थीं तब उसके थोड़ा पहले ही वो अपनी कुछ स्वरचित कवितायें सुनाया करते थे. उस वक्त हम दोस्तों को लगता ......
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अनिल पुष्कर कवीन्द्र: स्वातन्त्रयोत्तर कथा साहित्य में प्रगतिशीलता किस तरह से परिवर्तित हुई संवेदनशीलता के स्तर पर? ख़ासकर वैश्वीकरण के दौर में?
हिमांशु जोशी: समय के साथ-साथ स्थितियाँ बदलती हैं. स्वाधीनता से पहले जो माहौल था, वातावरण था, चाहे वो राजनीतिक हो, साहित्यिक हो, सामाजिक हो, वो आज़ादी के बाद वैसा नहीं रहा. उसमें परिवर्तन आना स्वाभाविक था. कोई नई बात नहीं थी. समय के साथ-साथ परिवर्तन भी होगा और परिवर्धन भी होगा. इन दोनों का अस्तित्व हमारे ......
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अनिल पुष्कर कवीन्द्र: आचार्य जी !आपसे मेरा सवाल है कि आपके अनुसार संस्कृति के क्या मायने हैं? क्या संस्कृति और कल्चर एक ही है?
आचार्य निशान्त केतु: आपने एक प्रश्न में दो प्रश्न किए हैं. दोनों के उत्तर अलग-अलग होंगे. वस्तुत: संस्कृति और 'कल्चर 'दोनों एक नहीं हैं. अंग्रेज़ी का 'कल्चर 'शब्द 'कल्ट 'से बना है जो. एग्रीकल्चर में है. जो नहीं है भूमि पर, उसको उर्वरित करना, उत्पादित करना 'कल्चर 'है. कभी-कभी आपने देखा होगा रत्न-भण्डागार में ......
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