इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
दुनिया भर की भाषाओं में काव्यशास्त्र का आरम्भ इस बुनियादी सवाल से टकराते हुए हुआ कि. 'शब्द 'और 'अर्थ 'का सम्बन्ध क्या और कैसा है? इस प्राथमिक प्रश्न के बरक्स तमाम भाषाओं के काव्यशास्त्र अपने आरम्भिक दौर में बतौर दार्शनिक उपलब्धि सामने आए. यही वज़ह है कि शब्द और अर्थ के सम्बन्ध को बहुधा शरीर और आत्मा या जड़ तथा चेतन के सम्बन्ध के रूप में सोचा एवं परखा गया.
कालान्तर में शब्द और अर्थ के सम्बन्ध की व्युत्पत्ति ......
[और पढ़ें]