इक्कीसवीं सदी की जनसंवेदना एवं हिन्दी साहित्य की पत्रिका
मेढक तुमको शत-शत प्रणाम
हे ज्योतिषी तुम्हारी वाणी निष्फल कभी न जाती है
पावस ऋतु के शुभागमन का आगम हमें बताती है
सत्कवियों के महाकाव्य के क्या तुम रहे उपेक्षित पात्र
नहीं, नहीं तुलसी की प्रतिमा बना गई तुमको शुभ छात्र
ऐसे गुण-सम्पन्न मेक को क्या दे दूँ हे राम
मेढक तुमको शत-शत प्रणाम
त्याग स्वर्ग की विमल विभूती सद्म बनाया नर्दा में
ग्रीष्म समय में तुमको जीवन पड़ा बिताना गर्दा में
तेरी ऐसी उग्र तपस्या पर भी विधि क्यों बाम
मेढक तुमको शत-शत प्रणाम
© 2009 Kishori Lal; Licensee Argalaa Magazine.
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नाम: किशोरी लाल
उम्र: 86 वर्ष
जन्म स्थान: नैनी बाजार, इलाहाबाद
शिक्षा: एम. ए., डी. फिल. (हिन्दी), इलाहाबाद विश्वविद्यालय
अनुभव: अवकाश प्राप्त वरिष्ठ प्राध्यापक, हिंदी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद
प्रकाशित रचनायें: रीति कवियों की मौलिक देन (शोध कार्य), बिहारी काव्य की उपलब्धियाँ, घनानंद: काव्य और आलोचना, सुंदरी सिंदूर (देव की रचनाओं का संपादन और व्याख्या), रीतिकाव्य शब्दकोश, सूर के विशिष्ट पद (सूर के 250 कठिन पदों की स्तरीय व्याख्या), विद्वान मोद तरंगिणी (संपादन), आचार्य केशवदास कृत विज्ञान ज्ञीता (स्तरीय संपादन एवं व्याख्या), सूर और उनका भ्रमर गीत ( आचार्य रामचंद्र शुक्ल कृत भ्रमर गीत से संकलित 200 पदों की व्याख्या और समीक्षा), हिंदी साहित्य का रेखांकन (एडविन ग्रीव्स कृत ए स्केच ऑफ हिंदी लिट्रेचर), एफ. ई. के. कृत हिंदी साहित्य के इतिहास का हिंदी अनुवाद, केशव कृत जहांगीर जस चंद्रिका रीति श्रृंगार मंजूषा, अष्ट छाप के प्रसिद्ध भक्त कवि परमानंद काव्य और आलोचना, संपादन - यशोदानंदन रचनावली, कवि कृत रामचंद्र भरण, बाल कविकृत कवि दर्पण (संपादन, बिहारी काव्य का अभिनव मूल्यांकन, आलोचना), हिंदी का भक्ति काव्य और सूरदास.