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अनुशंसा

‘अनिल पुष्कर का भविष्य उज्ज्वल है, प्रतिभा उत्तरोत्तर प्रस्फुट होगी, हो रही है। उनकी कुछ कविताएँ औरों से भिन्न और कवि को कवीन्द्र बना रही हैं। इनका नाम स्मरणीय है, और नया भी।’
– जगदीश गुप्त, 1996

‘अनिल पुष्कर की लम्बी कविताओं में विस्तार है. छोटी कविताओं में कविता का कृतित्व पारदर्शी और बेहतर है.’
– लीलाधर मंडलोई, 2013

‘अनिल पुष्कर एक प्रतिभावान युवा अध्येता हैं। वे हिंदी, उर्दू में समान रूप से दक्ष हैं और इसीलिए भारतीय अनुवाद परम्परा के इस अपूर्व मार्ग का एक उल्लेखनीय मानक स्थापित करने में सक्षम रहे। आधुनिक माध्यमों में इनकी गहरी आशक्ति भी सिद्ध करती है कि वे हिंदी के भावी विकास के प्रति सजग हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि अनिल पुष्कर नई हिंदी की विराट दुनिया में अपनी अलग जगह बनाएंगे।’
– गंगाप्रसाद विमल, 2011

‘मैं अनिल पुष्कर कवीन्द्र के सहज व्यक्तित्व, साहित्यिक गतिविधियों एवं अकादमिक क्षेत्र में गंभीरतापूर्वक किये गये महत्वपूर्ण कार्यों से बखूबी परिचित हूँ. रचनात्मक-लेखन और समकालीन परिस्थितियों पर सकारात्मक नजरिया रखने के इनके प्रयास सराहनीय हैं. हिन्दी साहित्य के इतिहास और आलोचना में गंभीर दखल रखने वाले ‘साहित्य अकादमी’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित कई प्रख्यात रचनाकारों के साक्षात्कार भी इनके द्वारा लिये गये है.’
– नीलाभ, 2011

‘अनिल पुष्कर इतिहास को एक किस्सा नहीं मानते बल्कि वे मानव नियति की होनी-अनहोनी की तरह उसे देखते हैं. वे एक प्रशंसनीय कोशिश करते हैं कि जिस काल की जो घटना है उसी की शब्दावली में उस अनुभव को अपने वर्तमान में लाया जाए. इतिहास का वर्तमान में आना और वर्तमान का इतिहास में जाना कभी सबके साथ, कभी अकेले, कवि ने देखने-पहचानने की कोशिश जारी रखी है.’
– लीलाधर जगूड़ी, 2019

‘युवा कवि अनिल पुष्कर राजनीतिक रूप से बेहद जागरूक कवि हैं। पुष्कर एक ऐसी भाषा गढ़ने में सक्षम हैं, जो प्रायः सीधी और तीखी है। उसमें कहीं-कहीं आशा के कुछ संकेत भी हैं मगर उसके पीछे भी शासक वर्ग के प्रति कटुता और विरोध का भाव है। वह इस पीढ़ी के शायद सबसे अधिक राजनीतिक कवि हैं।’
– विष्णु नागर, 2019