अर्गला उपन्यास प्रकाशित

एक ऐसी साध जिसे पूरा होते जमाना लग गया। मगर वो कहते हैं न कि जब जिसका वक्त आता है उसे उस वक्त दुनिया के सामने आने से कोई नहीं रोक सकता । यही हुआ अर्गला उपन्यास के संग।

तकरीबन 15 साल तक तमाम प्रकाशकों के पास चक्कर लगाने के बाद भी किसी न किसी वजह से इसे रिजेक्ट किया गया। जिसमें कई बड़े प्रकाशक भी शामिल रहे। आखिरकार शिल्पायन प्रकाशन के कपिल भारद्वाज का शुक्रिया कि उन्होंने इस नावेल को छापने में दिलचस्पी दिखाई। तभी आज ये सपना पूरा हो सका ।

तकरीबन 15 साल हुए जब हम सबके प्रिय लेखक मरहूम लेखक और प्रकाशक ने एक बार इस पर चयन कमिटी के बीच ही फैसला दिया कि ये एंटी लेफ्ट नावेल है इसलिए नहीं छापेंगे। किसी ने कहा एंटी राइट है नहीं छापेंगे। किसी ने कहा कम्युनल है नहीं छापेंगे। किसी ने एंटी फेमिनिस्ट एंटी पॉलिटिकल है आदि आदि।

अब आपलोग ही फैसला करें कि ये नॉवेल क्या है। ये एक सच्ची प्रेम कथा है जिसे तोहमतें झेलनी पड़ीं। प्रेम जो किसी को दिखाई नहीं देता। प्रेम जिस पर किसी का वश नहीं। अर्गला जो इस नॉवेल की नायिका है वह प्रेम को ही खोज रही है । यह दिलचस्प है कि इसका अंत कहां होता है।

शुक्रिया Kapil Bhardwaj.

Thanks to great artist Antra Srivastava for cover page art.

Thanks to all my friends family ❤️ life and all of you my love & well wishers.


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