इंसान के होने का पहला दस्तावेज़ केवल कविता ही रही । कविता में ही इंसान के वजूद में आने की पहली पहचान मिलती है। अगर आप किसी ब्रह्मांड किसी अन्यान्य सृष्टि और उसके सर्जक को मानते हैं तो उसे भी कविता ही पहली बार मूल अस्तित्व और मूल पहचान के साथ धरती पर लेकर आई।
इसलिए कविता मनुष्यता के होने की पहचान हमेशा बनी रहेगी। जब तक कविता है मनुषता है। चूंकि बिना प्रतिपक्ष के किसी भी चीज का कोई अस्तित्व नहीं है। इसी लिहाज़ से कविता मनुष्यता के विरुद्ध खड़ी शक्तियों का प्रतिपक्ष हमेशा से और सख्ती से बनी ।
यही मूल विचार और प्रतिपक्ष की मजबूत आवाज़ें “राजधानी” कविता संग्रह में देखने सुनने और पढ़ने को मिलेंगी।
अगर आप मनुष्यता के पक्ष में कहीं भी खड़े हैं । तो जरूर इन कविताओं से होकर गुजरें। कवि को जीवन दृष्टि इन्हीं अपेक्षाओं और संघर्षों से मिलती है। कवि स्वयम प्रतिपक्ष है दुनिया भर में जारी मनुष्यता के खिलाफ असंख्य बूझी अबूझी लड़ाइयों का।