प्रो. वरयाम सिंह जी का जन्मदिवस

आज मेरे अनन्यतम प्रिय गुरुवर प्रो. वरयाम सिंह जी का जन्मदिवस है। सर के साथ बहुत कम वक्त में ही रूसी साहित्य पर न जाने कितनी बातें संग संग हुई । उनके व्यवहार में न कोई बदलाव तब रहा न अब। जैसे मेरी आँखों में बसे हैं वैसे ही हैं आज भी।

बनना है सादा तो वरयाम बनो
लड़ना है ताकत से तो वरयाम बनो
जीना है अंदाज में तो वरयाम बनो
होना है सच्चा तो वरयाम बनो

एक पवित्र निश्छल और सलिल वृत्ति के हिमालय की तरह तटस्थ और कुदरत की सुंदरता और साहस को साथ लिए हुए एक ऐसा विराट व्यक्तित्व के धनी वरयाम सर के सच्चे अर्थ को पाना फिलहाल तो किसी साधारण आदमी के वश का नहीं।

वो जितने सर्जक हैं उतने ही अनुसर्जक
वो जितना आलोचक हैं उतना ही साधक

उनके जैसी जिंदगी को पाना मानो यीशु की तरह जीना है।। न किसी से बैर न किसी से अलहदा ।। मनुष्यता को पाना और जीना आज जितना जटिल होता जा रहा है उतना ही सहज और सरल तरीके से मनुष्य की पहचान और मनुष्यता को जीना वरयाम सर के जीवन का सबसे बड़ा हिस्सा रहा है।

वरयाम सर के जीवन को लेकर लिखना मानो भरपूर मनुष्य होना और मनुष्यता को जीना है एक ऐसी अनन्त यात्रा की ओर जाना है जहाँ दुनिया अपने सबसे पारदर्शी स्वरूप में बह रही है और उस गति को पाना नामुमकिन है उसकी लय में बहते जाना कतई आसान नहीं। उसकी धुन को सुनना और उसे पहचानना क्या ऐसे ही मुमकिन होगा।

वरयाम सर ने अपनी जिंदगी को जिया ही नहीं मनुष्य बनने की यात्रा में हर सांस में कितना कुछ सहा । दुनिया में आदम हव्वा से मनुष्य की यात्रा तक बहुत से अंश जिससे जीवन सुंदर और हम अच्छे इंसान हो सकें उन मूल तत्वों का संचय किया है।

काश यह जीवन बिल्कुल ऐसा ही हर किसी को मिल पाता।

जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सर।।


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