आदिम आवाजें पर जितेन्द्र पात्रो की समीक्षा

“कलम और कविताएं संस्कृति को दर्शाती है, बीते हुए कल को आज से जोड़ती है। बीता हुआ कल ही तो आज की नींव रखता है। जिसकी नींव जितनी मजबूत वह वृक्ष उतना ही विशाल एवं उदार होता है। सफल सामाजिक विकास के लिए भूतकाल से प्रेरणा लेकर यथार्थ को समझना भी ज़रूरी है अनिल पुष्कर जी की कविताएं धरातल से जुड़ी है। मैं अपनी कुछ पंक्तियां अनिल पुष्कर जी को समर्पित करता हूँ,

“चरण सदा धरातल पर रखिए,
जूतों का क्या है कीमतें बदलती रहती है!!”

सच और ईमानदारी की कुछ सुमधुर तरंगें होती है जो मनुष्य जीवन को बारंबार सुनाई देती है और सच का साथ देने के लिए प्रेरित करती है। सच प्रकृति भी है, मनुष्य भी है, जीव जंतु भी हैं, एवं वन के साथ-साथ नदियां भी हैं। इन्हीं सब का मिलाजुला दर्पण है अनिल पुष्कर जी का यह काव्य संग्रह “#आदिम_आवाजें_और_सात_सुरों_की_बारिश” ! जिसे Pralek Prakashan Samuh ने प्रकाशित किया है और कुछ ही दिनों में यह किताब आप सबके सम्मुख होगा।

हम Anil Pushker जी को उनके नवीन काव्य संग्रह के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं। उम्मीद है कि यह पुस्तक पाठकों को जरूर पसंद आएगी।”

– जितेन्द्र पात्रो


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