Category: Review
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इतिहास में अफवाह : शंभूनाथ
शीर्षक पढ़ते ही पहला सवाल मन में आया कि क्या वाकई में हिंदुस्तान/भारत/इंडिया उत्तर आधुनिक हुआ? अगर मान भी लें हुआ तो क्या आधुनिकता का उत्तर खोज लिया गया। अगर हां तो क्या जो घट रहा है वही सच मायने में उत्तर आधुनिकता है? नहीं है यदि तो कैसे इतिहास अपने इस दौर में उत्तर…
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मनुष्य की मुक्ति प्रेम से और प्रेम में है / अमरेन्द्र किशोर
“बहुश्रुत लेखक अनिल पुष्कर का सद्यः-प्रकाशित उपन्यास अर्गला एक नयी तरावट वाली लिखावट है। यह स्त्री की देह का चटपटा विमर्श नहीं है, न ही अलगाव और जुड़ाव का कोई सस्ता ताना-बाना है। जैसा आज हर दस उपन्यास में नौ में इसी किस्म की रुदाली और उसका महिमामंडन पढ़ने को मिलता है। आज हिन्दीभाषी सभ्यता…
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नई धारा में लेख
‘नई धारा’ पत्रिका में “एक विदुषी पतिता की आत्मकथा” जिसकी मूल लेखिका हैं श्रीमती कुमारी मानदा देवी । यह मूल बांग्ला में लिखी गयी। हिंदी में सम्पादन व अनुवाद किया है डॉ. मुन्नी गुप्ता ने । इसी किताब पर लिखा गया लेख ।। शुक्रिया सम्पादक शिव नारायण जी।।
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आदिम आवाजें पर जितेन्द्र पात्रो की समीक्षा
“कलम और कविताएं संस्कृति को दर्शाती है, बीते हुए कल को आज से जोड़ती है। बीता हुआ कल ही तो आज की नींव रखता है। जिसकी नींव जितनी मजबूत वह वृक्ष उतना ही विशाल एवं उदार होता है। सफल सामाजिक विकास के लिए भूतकाल से प्रेरणा लेकर यथार्थ को समझना भी ज़रूरी है अनिल पुष्कर…