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  • वीर भारत तलवार

    वीर भारत तलवार

    आदरणीय वीर भारत तलवार सर के हस्ताक्षर यानी ऑटोग्राफ सहित ये जरूरी किताब अब इन हाथों में है। अब जिम्मेदारी बढ़ गई है बिना पढ़े कुछ भी कहना खतरे से खाली नहीं ।।

  • अल्लालसांद्रा झील, बैंगलोर

    अल्लालसांद्रा झील, बैंगलोर

    उसे जाने कहाँ से शायरी में ख़ूब दिलचस्पी थी. किसी शायर की दो पंक्तियाँ जो मुझे भेंट में उसके लबों से मिली थीं आज भी ज़बानी याद हैं – “एक तर्ज़े-तग़ाफ़ुल है सो वह उनको मुबारकएक अर्जे तमन्ना है जो हम करते रहेंगे.” किशोर-प्रेम में दिशा के प्रतिकूल होने का कोई उपाय नहीं. खुले आकाश…

  • बैंगलोर का दौरा

    बैंगलोर का दौरा

    Landed in Bangalore International Airport – Terminal 2. I will be in Bangalore for a month or so. If anyone wants to meet please contact me.

  • More than a dozen books published

    More than a dozen books published

    I m enough rich in my published books. Five poem collections One novel. One Critics. One translation of Subodh Sarakar’s poems. Two edited volumes 1-2. And many more coming up …

  • A new pair of eyes with progressive lense

    A new pair of eyes with progressive lense

    Eyes with progressive lense.

  • हिमालय सा देवत्व में साक्षात्कार

    हिमालय सा देवत्व में साक्षात्कार

    आदरणीय गुरुवर प्रो. गंगाप्रसाद विमल सर को लेकर एक किताब हिमालय सा देवत्व को भूपेंद्र हरदेनिया जी ने सम्पादित की है। इस किताब में आप एक साक्षात्कार देख सकते हैं जोकि मेरे और सर के बीच बातचीत के रूप में दर्ज है।। शुक्रिया हरदेनिया जी।।

  • सुबोध सरकार की चुनिंदा कविताएँ प्रकाशित

    सुबोध सरकार की चुनिंदा कविताएँ प्रकाशित

    बांग्ला के लोकप्रिय कवि सुबोध सरकार की सबसे चुनिंदा कविताएँ आप सब यहाँ पढ़ सकते हैं पहली बार लोकोदय प्रकाशन से ये कविताएँ हिंदी में छपकर आपतक सीधे आ रही हैं।।। प्री बुकिंग आज से शुरू हुई है ।।

  • साहित्य अकादेमी – वेबलाइन साहित्य श्रृंखला

    साहित्य अकादेमी – वेबलाइन साहित्य श्रृंखला

    साहित्य अकादेमी – वेबलाइन साहित्य श्रृंखला के अंतर्गत बहुभाषी कवि सम्मलेन

  • गंगाप्रसाद विमल जी को याद करते हुए

    गंगाप्रसाद विमल जी को याद करते हुए

    गंगाप्रसाद विमल सर को यूं देखते रहना मानो पूरी दुनिया को पवित्र आंखों से देखने जैसा अहसास है। विमल सर जैसा अक्ष नक्श और वुजूद मानो बीहड़ में खिले फूलों का पर्वतशिखर उमगा हो। नदी बह रही हो मद्धम मद्धम। हवा में फैली हो एक खुशबू। आसमान में सारे नक्षत्र आपस मे हंसी ठिठोली करते…