ब्लॉग
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अल्लालसांद्रा झील, बैंगलोर
उसे जाने कहाँ से शायरी में ख़ूब दिलचस्पी थी. किसी शायर की दो पंक्तियाँ जो मुझे भेंट में उसके लबों से मिली थीं आज भी ज़बानी याद हैं – “एक तर्ज़े-तग़ाफ़ुल है सो वह उनको मुबारकएक अर्जे तमन्ना है जो हम करते रहेंगे.” किशोर-प्रेम में दिशा के प्रतिकूल होने का कोई उपाय नहीं. खुले आकाश…
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बैंगलोर का दौरा
Landed in Bangalore International Airport – Terminal 2. I will be in Bangalore for a month or so. If anyone wants to meet please contact me.
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More than a dozen books published
I m enough rich in my published books. Five poem collections One novel. One Critics. One translation of Subodh Sarakar’s poems. Two edited volumes 1-2. And many more coming up …
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अर्गला उपन्यास प्रकाशित
एक ऐसी साध जिसे पूरा होते जमाना लग गया। मगर वो कहते हैं न कि जब जिसका वक्त आता है उसे उस वक्त दुनिया के सामने आने से कोई नहीं रोक सकता । यही हुआ अर्गला उपन्यास के संग। तकरीबन 15 साल तक तमाम प्रकाशकों के पास चक्कर लगाने के बाद भी किसी न किसी…
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शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं
अध्यापक वही है –जो अपने समय को पढ़ सके।जो अराजकता से लड़ सके।जो बच्चों को दुनिया का ज्ञान दे।जो बेहतर दुनिया बनाने का खंजर पैदा करे। अध्यापक जानता है ; विरासत जो हमको मिली हैइसे जीना कुशल होने की घड़ी है।एक युद्ध जिसे अब कतई टाला नहीं जा सकताऔर इस युद्ध में जनविरोधी ताकतें हैंअध्यापक…
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A new pair of eyes with progressive lense
Eyes with progressive lense.
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स्त्रीकाल का ताजा अंक
स्त्रीकाल का ताजा अंक प्रेस में है। एक सप्ताह में उपलब्ध होगा हमारे लिए। इस बीच ‘नॉटनल’ पर पढ़ा जा सकता है। इस अंक का थीम है ‘सिनेमा का स्त्रीवादी पक्ष’। अंक संपादक हैं विभावरी। विभावरी स्त्रीकाल की उन चुनींदा अंक संपादकों में हैं, जिन्होंने अपनी पूरी जिम्मेवारी से इसे संपादित किया-लगन, निष्ठा, समर्पण और…
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हिमालय सा देवत्व में साक्षात्कार
आदरणीय गुरुवर प्रो. गंगाप्रसाद विमल सर को लेकर एक किताब हिमालय सा देवत्व को भूपेंद्र हरदेनिया जी ने सम्पादित की है। इस किताब में आप एक साक्षात्कार देख सकते हैं जोकि मेरे और सर के बीच बातचीत के रूप में दर्ज है।। शुक्रिया हरदेनिया जी।।
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सुन रहा है कोई – कविता संग्रह
रुद्रादित्य प्रकाशन से आने वाला : कविता संग्रह की प्रतीक्षा हमने विरोध की तख्तियाँ लटकाए हुए ही मान लिया कि तख्त पलटकर रख देंगे. सो हमने जुबानी खंजर के अलावा कोई मुनासिब पहल अब तलक न की. सोचते रहे ख्यालों में कि तख्त औ ताज मिटा देंगे, जो लगे हैं दाग दामन पर हटा देंगे,…