ब्लॉग
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वक़्त के दरख़्त पर करमहारे
लड़ो कि लड़ना है जरूरी वे पशु हैं जुगाली से भरे हैं उनके सींगे हैं निकली नुकीली मगर दिमाग से खच्चर हैं। इन खच्चरों को बोझ नहीं उठाना ये अब राजपाठ चाहते हैं इसीलिए सत्ता के गलियारों में पगुरिआते पाए जाते हैं हुकूमत को मरकहे पशु पगुराते मुहँ चाहिए जो उनके इशारों पर सींगे मारने…
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शिव शक्ति नाथ बक्शी को बधाइयाँ
मुझे याद है जब मैं सन 2000 में JNU में आया वो भी क्या दिन थे तब भले ही छात्र राजनीति में पार्टियां होती थीं जैसे AISA, SFI, AISF, ABVP, DYFE, PSU, DSU आदि आदि मगर वैचारिक मतभेद के बावजूद भी खासतौर से ABVP और वाम छात्र कार्यकत्ताओं के बीच कभी भी कोई दूरी नहीं…
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प्रो. वरयाम सिंह जी का जन्मदिवस
आज मेरे अनन्यतम प्रिय गुरुवर प्रो. वरयाम सिंह जी का जन्मदिवस है। सर के साथ बहुत कम वक्त में ही रूसी साहित्य पर न जाने कितनी बातें संग संग हुई । उनके व्यवहार में न कोई बदलाव तब रहा न अब। जैसे मेरी आँखों में बसे हैं वैसे ही हैं आज भी। बनना है सादा…
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अलविदा – महेंद्र राजा जैन
महेंद्र राजा जैन एक ऐसी विराट अद्भुत अपूर्व शक्ति साहित्यिक क्षेत्र में जब तक रहे, तब तक साहित्य के तमाम आडम्बरों से लड़ते झगड़ते विरोध करते रहे और जो दुनियावी कागज में जिंदगी के सर्जक रहे। उन्हें हमेशा सम्मान देते हुए एक लेखक के बतौर प्रकाशकों के साथ लेखकीय कमाई का मोटा हिस्सा जो खाते…
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सन्मार्ग में कन्हैयालाल सेठिया पर लेख
आज के सन्मार्ग अखबार में कन्हैयालाल सेठिया के रचनात्मक लेखन और दर्शन को लेकर एक लेख।। यूँ तो ये एक लंबा लेख है मगर पेज की सीमा के कारण कुछ अंश ही दिए जा रहे हैं।।।
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सुबोध सरकार की चुनिंदा कविताएँ प्रकाशित
बांग्ला के लोकप्रिय कवि सुबोध सरकार की सबसे चुनिंदा कविताएँ आप सब यहाँ पढ़ सकते हैं पहली बार लोकोदय प्रकाशन से ये कविताएँ हिंदी में छपकर आपतक सीधे आ रही हैं।।। प्री बुकिंग आज से शुरू हुई है ।।
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नई धारा में लेख
‘नई धारा’ पत्रिका में “एक विदुषी पतिता की आत्मकथा” जिसकी मूल लेखिका हैं श्रीमती कुमारी मानदा देवी । यह मूल बांग्ला में लिखी गयी। हिंदी में सम्पादन व अनुवाद किया है डॉ. मुन्नी गुप्ता ने । इसी किताब पर लिखा गया लेख ।। शुक्रिया सम्पादक शिव नारायण जी।।
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आदिम आवाज़ें और सात सुरों की बारिश पर बातचीत
दिनांक 4अक्टूबर 2020, शाम 05 बजे जनसरोकार मंच टोंक के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में हमारे साथ युवा कवि,आलोचक और उपन्यासकार अनिल पुष्कर होंगे। सभी सादर आमंत्रित हैं। निम्न लिंक को क्लिक कर आप जनसरोकार मंच टोंक के लाइव कार्यक्रम से जुड़ सकते हैं। Here is the link.
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आदिम आवाजें पर जितेन्द्र पात्रो की समीक्षा
“कलम और कविताएं संस्कृति को दर्शाती है, बीते हुए कल को आज से जोड़ती है। बीता हुआ कल ही तो आज की नींव रखता है। जिसकी नींव जितनी मजबूत वह वृक्ष उतना ही विशाल एवं उदार होता है। सफल सामाजिक विकास के लिए भूतकाल से प्रेरणा लेकर यथार्थ को समझना भी ज़रूरी है अनिल पुष्कर…